रात 9:57 से शुरू होगी महाशिवरात्रि पूजा, नोट करें शिव रुद्राभिषेक विधि

आज है भगवान शिव को समर्पित महाशिवरात्रि। पौराणिक कथाओं के अनुसार, आज ही के दिन शिव जी शिवलिंग के रूप में अवतरित हुए थे। वहीं, महाशिवरात्रि के दिन ही शिव जी और माता पार्वती का विवाह भी हुआ था। महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग का रुद्राभिषेक करना विशेष रूप से पुण्यदायक माना जाता है। इस दिन संध्या के समय विधि-विधान से पूरे शिव परिवार की उपासना की जाती है। आइए जानते हैं महाशिवरात्रि पर पूजा और रुद्राभिषेक का शुभ मुहूर्त, सम्पूर्ण विधि और मंत्र-

शिव रुद्राभिषेक-विधि 
संध्या के समय स्नान आदि से निवृत होकर सबसे पहले गणेश जी का ध्यान करें। इसके बाद भगवान शिव, पार्वती सहित सभी देवता और नौ ग्रहों का ध्यान कर रुद्राभिषेक करने का संकल्प लें। मिट्टी से शिवलिंग बनाएं और उत्तर दिशा में स्थापित करें। रुद्राभिषेक करने वाले व्यक्ति का मुख पूर्व दिशा की तरफ होना चाहिए। गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करते हुए इस विधि की शुरुआत करें। सबसे पहले शिवलिंग को गंगाजल से स्नान करवाएं। इसके बाद गन्ने के रस, गाय के कच्चे दूध, शहद, घी और मिश्री से शिवलिंग का अभिषेक करें। हर सामग्री से अभिषेक करने से पहले और बाद में पवित्र जल या गंगाजल चढ़ाएं। प्रभु पर बिल्व पत्र, सफेद चंदन, अक्षत, काला तिल, भांग, धतूरा, आंक, शमी पुष्प व पत्र, कनेर, कलावा, फल, मिष्ठान और सफेद फूल अर्पित करें। इसके बाद शिव परिवार सहित समस्त देवी-देवताओं की पूजा करें। प्रभु को भोग लगाएं। अंत में पूरी श्रद्धा के साथ शिव जी की आरती करें। अंत में क्षमा प्रार्थना करें। इस क्रिया के दौरान अर्पित किया जाने वाला जल या अन्य द्रव्यों को इकट्ठा कर घर के सभी कोनों और सभी लोगों पर छिड़के और इसे प्रसाद स्वरूप में भी ग्रहण कर सकते हैं। रुद्राभिषेक खासतौर पर विद्वान् पंडित से करवाना अत्यंत सिद्ध माना जाता है। हालाँकि, आप स्वयं भी रुद्राष्टाध्यायी का पाठ कर इस विधि को संपूर्ण कर सकते हैं।

नोट करें- शिव जी का रुद्राभिषेक करते समय शिव मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते रहें। भगवान शिव का जलाभिषेक 8 मार्च की रात 9 बजकर 57 मिनट से आरंभ होगा।

शिव मंत्र 
ॐ नमः शिवाय
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||

5 पहर में करें पूजा
पहला प्रहर- 8 मार्च को शाम 4.55 बजे से रात 2.55 बजे तक
दूसरा प्रहर- रात 9 से 10.55 बजे तक
तीसरा प्रहर- रात 1 से 2.55 बजे तक
अंतिम प्रहर- सुबह 6 बजे से सुबह 8.55 बजे तक
निशिता काल पूजा समय – 11:52 पी एम से 12:41 ए एम, मार्च 09
अवधि – 00 घण्टे 49 मिनट्स

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