
रायपुर। भारतमाला परियोजना रायपुर विशाखापट्टनम प्रस्तावित इकॉनामिक कॉरीडोर के भू-अर्जन प्रकरण में मुआवजा घोटाले में शामिल एक महिला सहित तीन पटवारियों को एसीबी-ईओडब्ल्यू ने गिरफ्तार किया है. तीनों पटवारियों दिनेश पटेल (तत्कालीन पटवारी नायकबांधा ), लेखराम देवांगन (तत्कालीन पटवारी टोकरो ) व बसंती घृतलहरे (तत्कालीन पटवारी भेलवाडीह) पर आरोप है कि वर्ष 2020 से 2024 के बीच शासन द्वारा अर्जित भूमि को पुनः शासन को विक्रय कर मुआवजा देने, बैक डेट में बंटवारा और नामांतरण करना, भूमि स्वामी के बदले किसी अन्य को मुआवजा देने एवं निजी भूमि के गलत मुआवजा तथा उसके टुकड़े कर उपखण्डों में विभाजित कर मुआवजा राशि हड़प कर शासन के साथ छल करते हुए धोखाधड़ी कर करोड़ों रुपए की आर्थिक क्षति पहुंचाई.

मामले में एसीबी में पंजीबद्ध अपराध क्रमांक – 30 / 2025, धारा – 7 सी, 12 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 यथासंशोधित भ्र.नि. (संशोधन) अधिनियम 2018 एवं धारा 409, 467, 468, 471, 420, 120बी भादवि के तहत कार्रवाई करते हुए गिरफ्तार कर विशेष अदालत में पेश करने की तैयारी की जा रही है. इसके पहले उच्च न्यायालय ने इनकी गिरफ्तारी में रोक लगाई थी. 28 अक्टूबर को उच्च न्यायालय के गिरफ्तारी से रोक हटाने जाने के पश्चात् इन्हें गिरफ्तार किया गया है. इसके पहले 13 अक्टूबर को 2 जनसेवक के साथ 10 आरोपियों के विरूद्ध प्रथम अभियोग पत्र प्रस्तुत किया गया था.
क्या है मामला
रायपुर-विशाखापट्नम इकॉनामिक कॉरिडोर भू-अर्जन मुआवजा घोटाले में शासन द्वारा दी गई रिपोर्ट के आधार पर करोड़ों रुपए का घोटाला सामने आया है. पूरी जांच रिपोर्ट आने के बाद आर्थिक क्षति की राशि और बढ़ सकती है. जमीन को कई टुकड़ों में बांटकर यह घोटाला किया गया है. रायपुर विशाखापट्नम इकोनॉमिक कॉरिडोर में हुई आर्थिक गड़बड़ी पर एनएचएआई के अधिकारियों ने भी आपत्ति जताई थी. एनएचएआई की आपत्ति के बाद जांच रिपोर्ट को सचिव राजस्व विभाग को भेजा गया था और मुआवजा वितरण रोका गया था.
