
जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में एक बार फिर छात्रावास की बड़ी लापरवाही उजागर हुई है। विकासखंड बकावंड के ग्राम पंचायत बारदा स्थित आदिवासी बालक छात्रावास में खाना बनाते समय एक छात्र बुरी तरह झुलस गया। बताया जा रहा है कि छात्र अपने साथियों के लिए भोजन तैयार कर रहा था, तभी खौलता तेल उसके ऊपर गिर गया, जिससे उसका चेहरा और शरीर का हिस्सा गंभीर रूप से जल गया। घटना के बाद अफसरों ने मामले को दबाने की कोशिश की, जबकि घायल छात्र को गंभीर हालत में मेडिकल कॉलेज जगदलपुर में भर्ती कराया गया है
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, छात्रावास में अधीक्षक और रसोइया अक्सर अनुपस्थित रहते हैं और निजी कार्यों में व्यस्त रहते हैं, जिसके चलते छात्रों को खुद ही भोजन बनाना पड़ता है। यही कारण रहा कि छात्र सुमन भद्रे को यह जिम्मेदारी दी गई, जो अब उसके जीवन और भविष्य दोनों के लिए खतरा बन गई है।
यह कोई पहली घटना नहीं है जब बस्तर संभाग के आवासीय विद्यालयों में बच्चों की जान खतरे में पड़ी हो। 21 अगस्त को सुकमा जिले के विकासखंड छिंदगढ़ के आवासीय विद्यालय बालक पोटाकेबिन पाकेला में भोजन में फिनायल मिलने का मामला सामने आया था। समय रहते अधीक्षक ने भोजन परोसना रोक दिया था, वरना 426 बच्चों की जान खतरे में पड़ सकती थी। इसके अलावा 4 सितंबर को सुकमा जिले के बालक आश्रम मानकापाल में छात्रों को केवल नमक और चावल परोसने की घटना ने भी प्रशासनिक व्यवस्था की पोल खोल दी थी।
इन लगातार घटनाओं ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या आदिवासी छात्रावासों में बच्चों की सुरक्षा और सुविधा अब किसी की जिम्मेदारी नहीं रही ? कब तक छात्रावासों में रह रहे मासूमों के जीवन से इस तरह का खिलवाड़ जारी रहेगा?
