पानी से भरे गड्ढों में हाथियों की मौत पर हुई सुनवाई — हाईकोर्ट ने जताई सख्त नाराजगी, सरकार से शपथ पत्र के जरिए मांगा स्पष्टीकरण

बिलासपुर। पानी भरे गड्‌ढे में गिरने के बाद कीचड़ में फंसकर हाथियों की मौत के मामले में मंगलवार को हाईकोर्ट सुनवाई हुई। शासन ने अपने प्रस्तुत जवाब में बताया कि प्रदेश के वन क्षेत्र में 20 हजार खुले गड्‌ढे और कुएं हैं। कोर्ट ने इनसे वन्य प्राणियों को बचाने के लिए किए जा रहे उपायों की जानकारी शपथपत्र में देने के निर्देश दिए हैं।

सुनवाई के दौरान कोर्ट कमिश्नर ने डिवीजन बेंच को बताया कि हाल ही में बलौदाबाजार जिले के बार नवापारा अभयारण्य के ग्राम हरदी में भी तीन हाथी और उनका शावक सूखे कुएं में गिर गए थे, जिन्हें जेसीबी के मदद से निकाला गया था। हाईकोर्ट ने पूछा कि ऐसे सूखे कुओं और गड्ढों की कवरिंग के लिए क्या कर रहे हैं? 15 दिसम्बर की सुनवाई में शासन को नए शपथपत्र में जवाब देने के निर्देश दिए गए हैं।

रायगढ़ वन क्षेत्र के पानी भरे गड्‌ढे में हाथी शावक की डूबकर मौत हो गई थी। हाईकोर्ट ने पिछले माह संज्ञान लेकर कहा कि सरकार को इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए पर्याप्त कदम उठाने चाहिए। इसके लिए निरीक्षण, निगरानी और त्वरित उपचारात्मक कदम उठाने होंगे। कोर्ट के नोटिस के बाद राज्य सरकार की ओर से पिछली सुनवाई में कहा गया था कि भविष्य में ऐसी किसी भी दुर्भाग्यपूर्ण घटना की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए कदम उठाए जाएंगे।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस बात पर नाराजगी जताई कि वन विभाग के पास ऐसे जल निकायों की व्यवस्थित निगरानी और जोखिम-मानचित्रण तंत्र का अभाव है। क्षेत्रीय कर्मचारी, विशेष रूप से बीट और रेंज स्तर पर, अक्सर अपर्याप्त संसाधनों के साथ ऐसी आपात स्थितियों पर तुरंत प्रतिक्रिया देने में असमर्थ होते हैं। हाथियों के बच्चों की बार-बार होने वाली मौतें वन्यजीव संरक्षण प्रयासों में एक दुखद कमी को उजागर करती है।

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